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जो भी हम देखते हैं, सुनते हैं और बोलते हैं, कहीं न कहीं हमारे जीवन को प्रभावित करता है और फलस्वरूप समाज को भी. गाँधी जी के तीन बन्दर यूँ ही थोड़ी प्रसिद्ध हैं. इसीलिए मीडिया को चौथे स्तम्भ की संज्ञा दी गई है और लम्बे समय से मीडिया अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभाता भी आ रहा है. किन्तु ऐसे समय में जब भ्रष्टाचार ने तिल से ताड़ तक सभी को चपेट में ले रखा है, मीडिया अछूता कैसे रह सकता है.
चुनावी दिनों में “पेड न्यूज़” अर्थात विज्ञापन को स्वतंत्र समाचार बना कर छापना चर्चा में रहा. इस पर प्रेस कौंसिल को एक रिपोर्ट भी जारी करनी पड़ी, जो उनकी वेबसाइट पर उपलब्ध है. यह ‘पेड न्यूज़’ अनैतिक तो है ही, दो प्रकार से गैर क़ानूनी भी है:
(1) उम्मीदवार पेड न्यूज़ पर होने वाले खर्च को चुनावी खर्च में शामिल न करके १९६१ के चुनावी नियमों का उल्लंघन करते हैं.
(2) मीडिया कंपनी इस पेड न्यूज़ से होने वाली आय न दिखाकर आयकर अधिनियम १९६१ और कंपनी अधिनियम १९५६ का उल्लंघन करतीं हैं.
इसी प्रकार फिल्मों, नए उत्पादों की समीक्षा जो अक्सर समाचार के रूप में प्रस्तुत की जाती है, विज्ञापन हो सकती है. स्टॉक मार्केट के विशेषज्ञों की सलाह भी कभी कभी निवेशकर्ता के निर्णयों को किसी खास दिशा में प्रभावित कर सकती है. मीडिया द्वारा निजता एवं गोपनीयता के अतिक्रमण का मुद्दा भी आता रहता है.
यह भी सच है की जब तक भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए हमे मीडिया की जरुरत है तब तक मीडिया में पनप रहा भ्रष्टाचार अथवा नैतिक पतन एक बड़ा मुद्दा नहीं बन सकता और न ही इस से पूरी तरह आदर्शवादी रहने की अपेक्षा की जा सकती है. कई बार समाचार पत्र या पत्रिका का मूल्य उसकी लागत से कम होता है तो कभी बढती प्रतियोगिता या फिर मीडिया और राजनीति एवं कॉरपोरेट्स की मिलीभगत. किसी न किसी वजह से आज का मीडिया अपने दायित्व से विमुख हो रहा है. ऐसे में नियंत्रण में भी सूझ बूझ की जरुरत है क्यूकि यह भी सच है की मीडिया आज भी जन सामान्य के लिए कई बार आखिरी उम्मीद होता है. कई बार किसी मुद्दे को घर घर तक पहुचाने के लिए मीडिया की ही जरुरत होती है.
आज पहले से कही कम रिपोर्टर देश के दूर-दराज के कोनो से कोई ऐसा समाचार लाते हैं जिसे समाज और सरकार को सच में जानने की जरुरत हो. विज्ञापन को समाचार बनाना, अवांछित खबर को अधिक महत्व देना और किसी खबर को रिपोर्ट न करना अपराध नहीं है, किन्तु यह समाज में एक स्वतंत्र मीडिया की आवश्यकता एवं महत्व को कम जरुर करता है.
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