मैनेजर की कलम से..
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अक्सर याद आती हैं,
वो चंद मुलाकातें,
वो खुशबू जैसे लहजे,
वो फूलों जैसी बातें
मीठे मीठे पल, और
प्यार में घुली ढेरों हिदायतें
गुस्सा कम करो, थोडा हंसा करो,
और साथ में बहुत से सवाल,
मुझे याद किया क्या ,
जवाब क्यूँ नहीं दिया,
और सबसे प्यारा सवाल,
मेरे साथ तो हो ना?
और बस एक हाँ से
उन बड़ी बड़ी आखों में
झलकता सुकून,
फिर साथ के अंतिम पलों में,
उन गीली आँखों से पूछना उसका,
फिर कब आओगे,
अक्सर याद आता है…
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