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प्यारी माँ
कैसी हो तुम ?
मैं आज पूरे बारह साल का हो गया….और सब लोग कह रहें हैं आज माँ का दिन है पर माँ तुम तो यहाँ हो नहीं तो फिर कैसे मनाऊं मैं आज का दिन …..ये चिट्ठी भी तुम्हे पता नहीं कब मिलेगी …………………….
पता है माँ यहाँ आज सबकी मम्मी आईं हैं और पापा भी ……..वो मोनू है न माँ …….उसके मम्मी पापा उसके लिए एक बड़ी सी कार लाये…… पर तुम उदास मत होना, मुझे नहीं चाहिए…. उसमे तो बैठ भी नहीं सकते…..जब मैं बड़ा हो जाऊंगा न तो एक बहुत बड़ी कार लूँगा …बहुत बहुत लम्बी ….फिर उसमे हम बैठ कर खूब घूमा करेंगे …….और इसलिए मैं खूब मन लगा कर पढाई कर रहा हूँ माँ ………………………………..
पर माँ ……तुम्हारी बहुत याद आती है …….यहाँ बिलकुल मन नहीं लगता माँ ………..तुम्हारे हाथ का खाना बहुत याद आता है …….यहाँ का खाना मुझे बिलकुल अच्छा नहीं लगता…….और यहाँ कोई सर में तेल लगाने वाला भी नहीं ………………………
और माँ तुम अपना ख्याल रखना …….हाथ मत जलाना कुकर से फिर …….और दिन भर काम मत करती रहना….आराम भी करना ……और तबियत न ठीक हो तो फ़ौरन दवा ले लेना……..तुम समय पर दवा नहीं लेती ….और अब तो मैं भी वहां नहीं हूँ …………………………………..
पता है माँ कल रात तुम्हारी बहुत याद आई तो मैंने एक कविता लिखी तुम्हारे लिए ……आज माँ का दिन है ना तो ये मेरी तरफ से तुम्हारे लिए …..
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माँ, तुम कितनी अच्छी हो,
अच्छी बातें सिखलाती हो,
रोज़ सवेरे पूजा करती,
दाना चिड़ियों को खिलाती हो,
नन्ही गौरेया जब घर में आती,
कितनी खुश हो जाती हो,
पापा जब भी गुस्सा होते,
तुम ही पास बुलाती हो,
बड़े प्यार से फिर मुझको
मेरी गलती समझाती हो,
जब भी होता परेशान मैं,
तुम ही राह दिखाती हो,
मेरी सारी समस्याएँ,
पल भर में सुलझाती हो,
पर जब से दूर हुआ मैं तुमसे
बहुत याद तुम आती हो माँ,
बहुत याद तुम आती हो…
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(अभिनव श्रीवास्तव / १२.०५.२०१२)
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