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ई-बैंकिंग : सुविधाएँ और सावधानियाँ

मैनेजर की कलम से..
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बैंकिंग की जरुरत हम सभी को पड़ती है और नये ज़माने की नयी बैंकिंग ने इसे और  सुलभ कर दिया है. यह ई-बैंकिंग का युग है. ई-बैंकिंग अर्थात इलेक्ट्रोनिक बैंकिंग. विस्तृत अर्थ में इसमें हम ऑनलाइन बैंकिंग, इलेक्ट्रोनिक फंड ट्रान्सफर, मोबाइल बैंकिंग और कार्ड पेमेंट को भी शामिल कर सकते हैं. इनमे से कुछ सुविधाएँ हम सभी को पता हैं जैसे की डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड, एटीएम् आदि पर अभी भी काफी लोग कई नई सुविधाओं और उनके साथ आवश्यक सावधानियों से अनभिज्ञ हैं. तो आइये इनसे रूबरू होते हैं.
  • एटीएम् से जुडी महत्वपूर्ण बातें: आप अपने एटीएम् कार्ड से किसी भी बैंक के किसी भी एटीएम् से एक महीने में पांच बार निशुल्क लेनदेन कर सकते हैं (जिसमे बैलेंस चेक करना भी शामिल है). अगर आपका खाता डेबिट हो गया पर एटीएम् से पैसे नहीं निकले तो चिंता की कोई बात नहीं. ट्रांजेक्शन स्लिप अपने पास रखें और इसकी शिकायत तुरंत अपने बैंक में दर्ज करें और आपका बैंक आपके खाते में धनराशी वापस क्रेडिट कर देगा. यदि वह ऐसा सात दिनों के अन्दर करने में असफल रहता है तो उसे आपको १०० रूपये प्रतिदिन के हिसाब से क्षतिपूर्ति करनी होगी.
  • इलेक्ट्रोनिक क्लियरिंग सर्विस (ईसीएस) : ईसीएस, बार-बार एवं आवधिक आधार पर होने वाले इलेक्ट्रॉनिक निधि अंतरणों का माध्यम है । संस्थाओं द्वारा ईसीएस का प्रयोग लाभांश, ब्याज, वेतन, पेंशन आदि के बड़े भुगतानों के थोक वितरणों के लिए अथवा टेलीफोन, बिजली, पेयजल की देयताएं, उपकर/ कर वसूली, ऋण किश्तों के पुनर्भुगतान, पारस्परिक निधियों के आवधिक निवेशों इत्यादि में भुगतान करने के लिए किया जाता है। ईसीएस  वस्तुत: एक ईसीएस केन्द्र के एक बैंक खाता से कई बैंक खातों अथवा इसके विपरीत मुद्रा के थोक अंतरण की सुविधा प्रदान करता है।
  • नैशनल इलेक्ट्रानिक फंड्स ट्रान्स्फर (एनईएफटी) : यह एक देश व्यापी व्यवस्था है, जो व्यक्तियों, फर्मों, और कंपनियों को बैंक की किसी एक शाखा से देश में स्थित अन्य किसी बैंक शाखा में खातेदार व्यक्तियों, फर्मों, और कंपनियों को इलेक्ट्रानिक निधि अंतरण की सुविधा प्रदान करती है। वे व्यक्ति, फर्में अथवा कंपनियां भी जिनका बैंक में खाता नहीं है(अकस्मात ग्राहक) एनईएफटी सक्षम शाखा में एनईएफटी के द्वारा निधि अंतरण के मकसद से नकदी जमा करा सकते हैं। इस प्रकार मूल रूप से राशि भेजने वालों अथवा प्रेषकों को एनईएफटी यह सुविधा देता है कि वे बिना बैंक खाते के भी निधि अंतरित कर सकते हैं।  इसके लिए लाभार्थी का देश में स्थित उस एनईएफटी सक्षम बैंक शाखा में खाता होना आवश्यक है जहां निधि जानी है।

    यह व्यवस्था  भारत से नेपाल, एक-तरफा सीमा पार निधि अंतरण की सुविधा भी देती है। यह इंडो-नेपाल धन-प्रेषण सुविधा योजना के नाम से जानी जाती है। प्रेषक किसी भी एनईएफटी सक्षम शाखा से नेपाल में निधि अंतरित कर सकता है, भले ही लाभार्थी का नेपाल में बैंक में खाता हो या नहीं। लाभार्थी को नेपाली मुद्रा में निधि प्राप्त होगी। इंडो – नेपाल धन – प्रेषण सुविधा योजना की और अधिक जानकारी भारतीय रिज़र्व बैंक की वेबसाइट   पर उपलब्ध है। (http://rbidocs.rbi.org.in/rdocs/content/pdfs/84489.pdf ) एनईएफटी के लिए आईएफएससी कोड (भारतीय वित्तीय प्रणाली कोड ) की आवश्यकता होती है. यह  एक अल्फा न्यूमेरिक कोड है जो एनईएफटी में भाग लेने वाली बैंक शाखा को एक विशिष्ट पहचान देता है। यह 11 अंकों का कोड है जिसमें प्रथम 4 अल्फा वर्ण हैं, जो बैंक को प्रदर्शित करते हैं तथा अंतिम 6 संख्यात्मक अक्षर हैं, जो शाखा को प्रदर्शित करते हैं। पांचवा वर्ण शून्य(0) है। एनईएफटी में भाग लेने वाली सभी बैंक शाखाओं और उनकी आईएफएससी की सूची भारतीय रिज़र्व बैंक की वेबसाइट http://rbi.org.in/scripts/neft.aspx पर उपलब्ध है। एनईएफटी का शुल्क १ लाख रूपये तक के लेनदेन के लिए सिर्फ ५ रूपये (+ सेवा कर) है. निधि लाभार्थी के खाते में उसी दिन या अगले कार्य दिवस की सुबह तक तक क्रेडिट हो जाती है।

  • रीयल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट (आर.टी.जी.एस) यह एक ऐसी  निधि अंतरण पद्धति है जिसमें एक बैंक से दूसरे बैंक में मुद्रा का अंतरण ‘वास्तविक समय’  और ‘सकल’ आधार पर होता है।  यह बैंकिंग चैनल द्वारा मुद्रा अंतरण का सबसे तेज माध्यम है। आर.टी.जी.एस प्रणाली मूल रूप से बड़े मूल्य की राशियों के लिए है। आर.टी.जी.एस से प्रेषित की जाने वाली न्यूनतम राशि रूपये दो लाख है। इसका शुल्क पांच लाख तक के लेनदेन के लिए मात्र ३० रूपये (+सेवा कर) है.

  • इन्टरनेट बैंकिंग : इसके माध्यम से आप वो सारे काम घर बैठे कर सकते हैं जिसके लिए आपको बैंक जाने की जरुरत पड़ती थी. जैसे की खाते में बैलेंस चेक करना, फिक्स डिपोजिट करना, और फंड ट्रान्सफर करना. ऊपर बताये गये एनईएफटी और आरटीजीएस भी इसके द्वारा घर बैठे किये जा सकते हैं.

सावधानियां और सुरक्षा:

  • अपना मोबाइल नंबर और इ-मेल अपने बैंक में जरुर दर्ज कराएँ ताकि आपको हर लेनदेन की तुरंत सूचना मिल सके.
  • एटीएम् के अन्दर कभी किसी की सहायता न लें और ना ही किसी को अपना पासवर्ड बताएं.
  • डेबिट या क्रेडिट कार्ड से भुगतान करते समय उसे अपनी आँखों से ओझल न होने दें और ना ही कभी किसी को दें. इसके  खो जाने पर तुरंत बैंक से संपर्क कर इसे ब्लाक करवाएं.
  • इन्टरनेट बैंकिंग करते समय ध्यान दें की एड्रेस बार का रंग हरा हो गया है, एड्रेस में https है न की सिर्फ http और पैडलाक (ताले का चिह्न) दिखाई दे रहा है या नहीं. ये सभी सुरक्षित लेनदेन के लिए आवश्यक हैं. इनके बिना ऑनलाइन लेनदेन ना करें. पैडलाक पर क्लिक करके आप उस वेबसाइट का सुरक्षा प्रमाण पत्र देख सकते हैं.
  • हमेशा आपके बैंक की वेबसाइट का सही एड्रेस टाइप करें और उस पर ध्यान भी दें. जैसे की स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया की ऑनलाइन बैंकिंग की वेबसाइट है https://onlinesbi.com/. यदि आप इसकी जगह कुछ और टाइप करते हैं या किसी सर्च इंजन  द्वारा इसे खोजते हैं तो किसी अन्य वेबसाइट पर भी पहुँच सकते हैं जो उस बैंक से सम्बंधित नहीं है (जैसे की http://ww90.sbionline.com/)
  • फिशिंग के आक्रमण से बचें जो की इ-मेल, फ़ोन या sms द्वारा हो सकता है और जिसमे आपकी व्यक्तिगत जानकारी मांगी जाती है. कभी भी कोई बैंक या भारतीय रिज़र्व बैंक आपसे आपके खाते सम्बन्धी जानकारी या पासवर्ड की मांग नहीं करता है.
  • लाटरी या किसी इनाम सम्बन्धी इ-मेल से भी बचें. इनका उत्तर कभी न दें और फ़ौरन डिलीट कर दें. आप इनकी शिकायत उस संस्था में भी कर सकते हैं जहाँ से ये इ-मेल आने का दावा करते हैं.
  • आपने कंप्यूटर अथवा लैपटॉप को हमेशा नये एंटी-वायरस से युक्त रखें.

किसी बैंक या संस्था के नाम से आने वाली मेल में उस मेल-आईडी अथवा किसी दी गई वेबसाइट पर ध्यान दें की क्या वह संदिग्ध लग रही है और पहले उस बैंक या संस्था से संपर्क करें.

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